भूमि पूजन की संपूर्ण विधि
भूमि पूजन के लिए सामग्री
एक कुआँ
एक मिट्टी का कलश
पवित्र जल
चावल
फूल
तुलसी
धूप
दीप
फल
मिठाई
नारियल
पान
सुपारी
लाल वस्त्र
रूमाल
ईंटें
भूमि पूजन की विधि
1. स्थल का चयन
भूमि पूजन के लिए एक शुभ स्थान का चयन करना चाहिए। यह स्थान समतल, स्वच्छ और शांत होना चाहिए।
2. कुआँ खोदना
भूमि पूजन के लिए एक छोटा सा कुआँ खोदा जाता है। यह कुआँ भूमि के देवताओं का निवास स्थान माना जाता है।
3. कलश स्थापना
कुएँ में एक मिट्टी का कलश रखा जाता है। कलश में पवित्र जल, चावल, फूल, तुलसी, धूप और दीप रखे जाते हैं।
4. गणेश पूजन
भूमि पूजन का आरंभ भगवान गणेश की पूजा से होता है। गणेश को विघ्नहर्ता माना जाता है, इसलिए उनकी पूजा से सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
5. लक्ष्मी पूजन
लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है। उनकी पूजा से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
6. वास्तु पुरुष पूजन
वास्तु पुरुष को घर के वास्तु का संरक्षक माना जाता है। उनकी पूजा से घर का वास्तु शुद्ध होता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
7. सर्प देवता पूजन
भारतीय संस्कृति में सर्पों को देवताओं के रूप में माना जाता है। उनकी पूजा से घर में सर्पों का भय दूर होता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
8. पंचभूत पूजन
पंचभूत से तात्पर्य पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश से है। इन पंचभूतों की पूजा से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
9. शिलान्यास
भूमि पूजन की समाप्ति पर, घर की नींव रखने की रस्म होती है। इस रस्म को शिलान्यास कहा जाता है। शिलान्यास में आमतौर पर चार ईंटें रखी जाती हैं।
भूमि पूजन के बाद
भूमि पूजन के बाद, घर के निर्माण कार्य को शुरू किया जा सकता है। भूमि पूजन से घर के निर्माण कार्य में सफलता मिलती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
