वास्तु पुरुष का रहस्य एवं वास्तुशास्त्र का मानव जीवन में महत्व
वास्तु पुरुष का रहस्य एवं वास्तुशास्त्र का मानव जीवन में महत्व
पुराणों के अनुसार इस महाभूत ने अपने सुप्त और विकराल शरीर से समस्त संसार को
आच्छादित कर लिया। उसे देखकर इंद्र सहित समस्त देवगण एकत्र हुए और भयभीत होकर
ब्रह्माजी की शरण में गए और उनसे प्रार्थना की कि-हे देव!हे भूतेश लोकपितामह!हम सभी
इस विशालकाय प्राणी से भयभीत हैं और आपकी शरण में आए हैं कृपया करके हमारी मदद
कीजिए,परमपिता हमारा मार्ग दर्शन कीजिए। तब ब्रह्मा जी ने कहा-हे देवगणों!भय मत
करो। इस महावली को पकड़ कर भूमि पर अधोमुख गिराकर तुम सब निर्भय हो जाओगे। ब्रह्माजी
के परामर्शानुसार सभी देवताओं ने उस महावली को गिराकर उस पर बैठ गए।
उस महाभूत ने
ब्रह्माजी से प्रार्थना की-हे प्रभो!आपने इस सम्पूर्ण जगत की रचना की है,किन्तु
मेरे बिना अपराध के देवगण मुझे कष्ट देते हैं, कृपया करके मेरी मदद कीजिए। वास्तु
पुरुष के वचन सुनकर ब्रह्माजी ने उसे वरदान दिया कि
तुम भूमि पर निवास करोगे और
वहाँ तुम्हारे साथ सभी 45 देवता भी निवास करेंगे। ग्राम नगर, दुर्ग, शहर, मकान,
जलाशय, प्रासाद, उद्यान आदि के निर्माण आरंभ और गृहप्रवेश के समय जो तुम्हारा पूजन
नहीं करेगा उसे अनेक कष्ट भोगने पड़ेंगे। उसे पग-पग पर बाधाओं का सामना करना पड़ेगा
और भविष्य में तुम्हारा आहार बनेगा,ऐसा कहकर ब्रह्माजी अंतर्ध्यान हो गए।
तभी से
वास्तु पुरुष की पूजा की जाती है। इस प्रकार स्थित रहते हैं भवन में वास्तु पुरुष
को भवन का प्रमुख देवता माना जाता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार वास्तु पुरुष भूमि
पर अधोमुख स्थित है। अधोमुख यानी उनका मुंह जमीन की तरफ और पीठ ऊपर की ओर हैं। सिर
ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा में, पैर नैऋत्य कोण यानी दक्षिण-पश्चिम दिशा में
है। इस तरह उनकी भुजाएं पूर्व और उत्तर में हैं। इनका प्रभाव सभी दिशाओं में रहता
है इसलिए नींव खोदते समय, मुख्य द्वार लगाते समय व गृह प्रवेश के दौरान वास्तु
पुरुष की पूजा करने का विधान बताया गया है। ऐसा करने से उस घर में रहने वाले लोगों
को सुख-समृद्धि, यश प्राप्त होता है और वे हर प्रकार के कष्टों से दूर रहते हैं।
इनकी पूजा के साथ भगवान शिव,श्री विष्णु, गणेशजी और ब्रह्मा जी की पूजा जरूर करनी
चाहिए इससे भूमि शुद्ध हो जाती है।वास्तुशास्त्र एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो
भवन निर्माण के सिद्धांतों से संबंधित है। यह विज्ञान प्रकृति के पंचतत्वों
(पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश) और आठ दिशाओं (पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण,
ईशान, नैऋत्य, आग्नेय और वायव्य) के संतुलन पर आधारित है।
वास्तुशास्त्र का मानना
है कि एक सुव्यवस्थित और सकारात्मक ऊर्जा से युक्त भवन मनुष्य के जीवन को समृद्ध और
सुखी बना सकता है। वास्तुशास्त्र का मानव जीवन में निम्नलिखित महत्व है:
**स्वास्थ्य और कल्याण:**
वास्तुशास्त्र के अनुसार, एक सुव्यवस्थित भवन में रहने से
मनुष्य का स्वास्थ्य और कल्याण बेहतर होता है। वास्तुशास्त्र के सिद्धांतों के
अनुसार निर्मित भवन में वायु, प्रकाश और जल का प्रवाह संतुलित होता है, जो मनुष्य
के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
**आर्थिक समृद्धि:**
वास्तुशास्त्र का मानना है
कि एक सुव्यवस्थित भवन में रहने से मनुष्य की आर्थिक समृद्धि बढ़ती है।
वास्तुशास्त्र के सिद्धांतों के अनुसार निर्मित भवन में धन और समृद्धि को आकर्षित
करने वाली ऊर्जा होती है।
**पारिवारिक सुख-शांति:**
वास्तुशास्त्र का मानना है कि
एक सुव्यवस्थित भवन में रहने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। वास्तुशास्त्र
के सिद्धांतों के अनुसार निर्मित भवन में सकारात्मक ऊर्जा होती है, जो परिवार के
सदस्यों के बीच प्रेम, स्नेह और शांति को बढ़ावा देती है।
वास्तुशास्त्र में वास्तु
पुरुष की अवधारणा बहुत महत्वपूर्ण है। वास्तु पुरुष एक काल्पनिक व्यक्ति है जिसे
भवन निर्माण के लिए आधार माना जाता है। वास्तु पुरुष की आकृति एक वर्गाकार या
आयताकार होती है, और इसकी आकृति भवन की आकृति से निर्धारित होती है। वास्तु पुरुष
के सिर का स्थान भवन का पूर्व दिशा में होता है, और उसके पैर का स्थान भवन का
पश्चिम दिशा में होता है।
वास्तु पुरुष की अवधारणा का उद्देश्य भवन निर्माण में
सकारात्मक ऊर्जा का संचार करना है। वास्तुशास्त्र के अनुसार, वास्तु पुरुष के शरीर
के विभिन्न अंगों को भवन के विभिन्न भागों से जोड़ा जाता है। उदाहरण के लिए, वास्तु
पुरुष के सिर को भवन का प्रवेश द्वार, उसके हाथों को भवन के द्वार और खिड़कियां, और
उसके पैरों को भवन की नींव से जोड़ा जाता है। वास्तु पुरुष की अवधारणा एक जटिल विषय
है, और इसका अध्ययन करने के लिए कई वर्षों का प्रशिक्षण और अनुभव आवश्यक है।
हालांकि, वास्तु पुरुष की मूल अवधारणा को समझना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह
वास्तुशास्त्र के सिद्धांतों को समझने में मदद करता है। वास्तुशास्त्र एक प्राचीन
विज्ञान है, लेकिन आज भी यह उतना ही प्रासंगिक है जितना कि प्राचीन काल में था।
वास्तुशास्त्र के सिद्धांतों का पालन करके, हम अपने जीवन को अधिक समृद्ध और सुखी
बना सकते हैं।
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सम्पर्क सूत्र:- 9610815505 , 9416914439
